केंद्र सरकार ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण) समझौता और कृषि सेवा विधेयक’ (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill) पास किया, इसमें क्या प्रावधान है?
a. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
b. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर रोक
c. कृषि उत्पादन पर रोक
d. इनमें से कोई नहीं
Answer: a. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
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– इस विधेयक में कृषि क़रारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है।
– यह कदम फसल की बुवाई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है।
– सरकार का पक्ष है कि इससे किसान का जोखिम कम होगा। दूसरे, खरीदार ढूंढने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा।
– केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि इससे बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों पर नहीं रहेगा और किसानों की आय में सुधार होगा।
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किसान क्यों कर रहे हैं विरोध
– किसान संगठनों का आरोप है कि नए क़ानून के लागू होते ही कृषि क्षेत्र भी पूँजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुक़सान किसानों को होगा.
– किसानों को आशंका है कि एमएसपी खत्म कर दिया जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि यह खत्म नहीं किया जाएगा।
– यह अध्यादेश कहता है कि बड़े कारोबारी सीधे किसानों से उपज खरीद कर सकेंगे, लेकिन ये यह नहीं बताता कि जिन किसानों के पास मोल-भाव करने की क्षमता नहीं है, वे इसका लाभ कैसे उठाऐंगे?
– सरकार एक राष्ट्र, एक मार्केट बनाने की बात कर रही है, लेकिन उसे ये नहीं पता कि जो किसान अपने जिले में अपनी फसल नहीं बेच पाता है, वह राज्य या दूसरे जिले में कैसे बेच पायेगा। क्या किसानों के पास इतने साधन हैं और दूर मंडियों में ले जाने में खर्च भी तो आयेगा।
– देश के प्रसिद्ध निर्यात नीति विशेषज्ञ और कृषि मामलों के जानकार देविंदर शर्मा कहते हैं, “जिसे सरकार सुधार कह रही है वह अमेरिका, यूरोप जैसे कई देशों में पहले से ही लागू बावजूद इसके वहां के किसानों की आय में कमी आई है।
– अमेरिका कृषि विभाग के मुख्य अर्थशास्त्री का कहना है कि 1960 के दशक से किसानों की आय में गिरावट आई है।
– इन वर्षों में यहां पर अगर खेती बची है तो उसकी वजह बड़े पैमाने पर सब्सिडी के माध्यम से दी गई आर्थिक सहायता है।”
– बिहार में 2006 से एपीएमसी -कृषि उपज विपणन समितियों (मंडी में खरीद व्यवस्था) नहीं है और इसके कारण होता ये है कि व्यापारी बिहार से सस्ते दाम पर खाद्यान्न खरीदते हैं और उसी चीज को पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर बेच देते हैं।
– क्योंकि यहां पर एपीएमसी मंडियों का जाल बिछा हुआ है।
– यदि सरकार इतना ही किसानों के हित को सोचती है तो उसे एक और अध्यादेश लाना चाहिए जो किसानों को एमएसपी का कानूनी अधिकार दे दे, जो ये सुनिश्चित करेगा कि एमएसपी के नीचे किसी से खरीद नहीं होगी।
– इससे किसानों का हौसला बुलंद होगा।
– किसानों को यह डर है कि एफ़सीआई अब राज्य की मंडियों से ख़रीद नहीं कर पाएगा, जिससे एजेंटों और आढ़तियों को क़रीब 2.5% के कमीशन का घाटा होगा. साथ ही राज्य भी अपना छह प्रतिशत कमीशन खो देगा, जो वो एजेंसी की ख़रीद पर लगाता आया है.
लोकसभा ने ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक’ (Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill) 2020 को पास किया, इनमें क्या प्रावधान है?
a. किसानों मंडी से बाहर फ़सल बेच सकेंगे
b. राज्यों को मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने पर रोक
c. राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कृषि व्यापार को बढ़ावा
d. उपरोक्त सभी
Answer: d. उपरोक्त सभी
– यह विधेयक राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने से रोकता है और किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता देता है।
– सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी, जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे।
– सरकार का कहना है कि इससे किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं।
– इस अध्यादेश में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है।
– इसके जरिये सरकार एक देश, एक बाजार की बात कर रही है।
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